Have you written a poem lately?

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थक गई निगाहे मेरी तुझे तलाशते तलाशते

तेरे पहचान के लोगो से पता पूछते पूछते

अब बस भी करो ये सतना

आंख मिचौली का खेल खेलना

यू रात अब तन्हाइयो में गुजरती नहीं

तेरा खयाल हर पल सताता है

तेरे पास होने एहसास मुझमें अलग खुमारी भर देता है

मेरी कलम जो बरसो से खफा थीं

देख तेरे एहसास से फिर से लिखना शुरू कर दी है

कोरे कागजों ने फिर से रंग भरना शुरू कर दिया है

बस भी करो ये सतना अब

आ मुझ बेचैन को गले से लगा

ठहराव ला दो

मेरे अंदर प्रेम की नदी बहा

खुद के इश्क में रंग दो ,

सरेआम कुबूल लो कि हा है राबता मुझको भी तुमसे

बस इजहार करने से डरता था

तेरे इनकार से डरता था

लो आज इजहार करता हु

सरेआम तुम सिर्फ मेरी हो ये कबूलता हु ।

थक गई मेरी निगाहें तूझे तलाशते तलाशते

तेरे पहचान के लोगो से पात पूछते पूछते।

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Chup hain baatein Dil kaise bayaan main karoon Tu hi keh de Woh jo baat main keh na sakoon

Signing off

We all blessed with divine power

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